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तो क्‍या भारतीय मूल के ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक के दिन लदे? अप्रूवल रेटिंग में जबरदस्‍त गिरावट, बड़ा झटका

लंदन: अक्‍टूबर 2022 में यूके को ऋषि सुनक के तौर पर भारतीय मूल का पहला प्रधानमंत्री मिला था। जनता सुनक से काफी प्रभावित भी नजर आ रही थी। लेकिन अब ऐसा लगता है कि सुनक का जादू कमजोर पड़ता जा रहा है। जो खबरें आ रही हैं उसके मुताबिक पीएम बनने के बाद पहली बार सुनक की अप्रूवल रेटिंग्‍स निचले स्‍तर पर पहुंची है। कंजरवेटिव होम की वेबसाइट की तरफ से हर महीने होने वाले सर्वे में अप्रूवल रेटिंग्‍स के बारे में बताया गया है। यूके में साल 2024 में आम चुनाव होने हैं और सुनक को कुछ लोग एक मजबूत उम्‍मीदवार करार दे रहे हैं। मगर ये रेटिंग्‍स उनके करियर को प्रभावित कर सकती हैं।

11 फीसदी की गिरावट

जून में सुनक की रेटिंग्‍स -2.7 थी जबकि मई में उनकी अप्रूवल रेटिंग +21.9 आई थी। पिछले महीने की तुलना में इसमें 11.7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। अक्‍टूबर 2022 में जब वह पीएम बने थे उस समय रेटिंग +49.9 थी। सुनक जो देश के सबसे अमीर पीएम हैं वह इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति के दामाद हैं। सुनक की रेटिंग में गिरावट ऐसे समय में दर्ज की गई है जब सरकार बैंक ऑफ इंग्लैंड के ब्याज दरों में पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी के फैसले से परेशान है। साथ ही सरकार की शरण चाहने वालों को रवांडा में निर्वासित करने की नीति को पिछले हफ्ते एक अदालत ने गैरकानूनी करार दे दिया था।
ब्रेवरमैन बनी हैं फेवरिट
उनके साथ ही उनकी कैबिनेट के नौ मंत्रियों की रेटिंग भी निगेटिव आई है। यह भी अपने आप में एक रिकॉर्ड है। चांसलर जर्मी हंट, सेक्रेटरी माइकल गोव और ओलिवर डाउडन जो डिप्‍टी पीएम हैं, उनकी रेटिंग में भी गिरावट आई है। देश की गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन जो काफी विवादित भी हैं, उनकी रेटिंग काफी सकारात्‍मक 30.4 है और यह सर्वेश्रेष्‍ठ है। हालांकि सुनक के लिए थोड़ी सांत्‍वना की बात हो सकती है कि पूर्व पीएम बोरिस जॉनसन और थेरेसा में की दोनों ही अपनी लोकप्रियता खो चुके हैं। जॉनसन की रेटिंग जहां -33.8 आई है तो मे की -51.2 है। कंजर्वेटिवहोम साइट के मुताबिक पार्टी के सदस्य अलग-थलग हैं।

लेबर पार्टी को बढ़त
सुनक के लिए एक और बुरी खबर यह है कि लेबर पार्टी को कंजरवेटिव पार्टी की तुलना में 18 अंकों की लीड मिली हुई है। तीन संसदीय सीटों पर उपचुनाव होने हैं और ऐसे में यह रेटिंग खासा असर डालने वाली होगी। माना जा रहा है कि कंजरवेटिव पार्टी को लेबर पार्टी के हाथों अगले चुनावों में बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है।

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