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कारगिल का शेर… पाकिस्तानी सेना का वह जांबाज फौजी जिसकी बहादुरी को इंडियन आर्मी भी करती है सलाम

इस्लामाबाद : पाकिस्तान की सेना ने बुधवार को कैप्टन करनाल शेर खान को याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी। करनाल शेर खान पाकिस्तानी सेना के उस दिवंगत सैनिक का नाम है जिसे भारतीय सेना भी सलाम करती है। भारतीय सेना के ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) एमपीएस बाजवा को को आज भी शेख खान की बहादुरी याद है। ‘निशान-ए-हैदर’ से सम्मानित शेर खान को पाकिस्तान में ‘कारगिर का शेर’ (Lion of Kargil) कहा जाता है। उन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान जान गंवा दी थी। भारत और पाकिस्तान की सेनाएं मई 1999 से जुलाई 1999 तक द्रास सेक्टर के कारगिल में आमने-सामने थीं। 26 जुलाई 1999 को यह युद्ध खत्म हो गया था।

करनाल शेर खान टाइगर हिल मोर्चे पर तैनात थे। लड़ाई में उन्होंने ऐसी बहादुरी दिखाई कि हर कोई हैरान रह गया। भारत की तरफ से टाइगल हिल पर जंग को ब्रिगेडियर एमपीएस बाजवा कमांड कर रहे थे। जब संघर्ष खत्म हुआ तो वह दुश्मन सेना के एक सैनिक की बहादुरी के कायल हो चुके थे। उन्हें शेर खान की बहादुरी आज भी याद है। कैप्टन शेर खान पाकिस्तान की नॉर्दर्न लाइट इनफेंट्री के अफसर थे।

कृपाल सिंह ने शेर खान को मारा

एमपीएस बाजवा याद करते हैं कि वह पाकिस्तानी सैनिक बहुत लंबा-चौड़ा था और बेहद जांबाजी से लड़ा था। भारत के सिख जवान कृपाल सिंह ने शेर खान को मारा था। पाकिस्तानी सेना ने टाइगर हिल पर पांच जगहों पर कब्जा किया था। इसे फतह का जिम्मा 18 ग्रेनेडियर्स को सौंपा गया था। शेर खान भारतीय सैनिकों पर जवाबी हमला कर रहे थे। जब पहली बार में वह नाकाम हुए तो उन्होंने दोबारा फिर हमला किया।

शेर खान के गिरते ही ढेर हो गई पाक आर्मी

शेर खान के जान गंवाने के बाद पाकिस्तानी सेना कमजोर पड़ गई और भारत ने टाइगर हिल को दोबारा अपने नियंत्रण में ले लिया। एमपीएस बाजवा के मुताबिक वहां 30 पाकिस्तानियों को दफन किया गया था लेकिन शेर खान के शव को ब्रिगेड के हेडक्वार्टर में रखा गया। जब उनकी बॉडी पाकिस्तान को सौंपी गई तो उस समय भी उनकी बहादुरी का जिक्र किया गया। शेर खान को उनका नाम उनके दादा से मिला था।

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