नगर निगम अतिक्रमण शाखा एवं एसडीएम एल. के. खरे ने चलाया अवैध प्लाटिंग एवं मकानो पर बुलडोजर
भोपाल . राजधानी के गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र मैं नगर निगम के जोन क्रमांक 14 मैं स्थित पिपलिया पैदेखां एम्स हॉस्पिटल की बाउंड्री वॉल से सटे हुए एरिया में जो की बी.एच.ई.एल. की जमीन हुआ करती थी जिसे वही के ही एक निवासी जावेद मियां पिता मुन्ने खां नामक व्यक्ति ने उस जमीन को कई वर्षों पहले अपने कब्जे में कर लिया गया था
फिर कुछ वर्षों से भूमिया जावेद मियां के द्वारा दान पत्र का सहारा लेकर बी. एच.ई.एल.की जमीन को बेचने का सिलसिला जारी कर दिया भोले- भाले मासूम लोगों को अपने जाल में फंसा कर अपनी जमीन बता एवं जाली रजिस्ट्री दिखाकर उक्त जमीन को बेचने का काम खुलेआम कर रहा था राजधानी के खोजी पत्रकार खबर खालसा डिजिटल न्यूज़ चैनल के प्रबंध संपादक सरदार आर. एस. सिंह खालसा को भूमाफिया के द्वारा उक्त जमीन को बड़े पैमाने पर बेचने की जानकारी मिली तो खालसा ने इस सारे मामला की जानकारी जुटाना शुरू कर दी सूत्रों ने सारी जानकारी देते हुए बताया भू माफिया पिपलिया पेदेखा का निवासी है और वह दान पत्र का सहारा लेकर आम लोगों को गुमराह कर जमीन को मोटे दामों में बेचने का अवैध धंधा कर रहा है,
खबर खालसा की टीम ने ग्राउंड रिपोर्टिंग की और फिर खबर को प्रकाशित किया जिससे नगर निगम विभाग, एसडीएम एवं भोपाल जिला कलेक्टर तक खबर के माध्यम से यह जानकारी पहुंची इसके पश्चात अधिकारियों ने इस सारे मामलों को संज्ञान में लिया दिनांक 6.4.2024 को एसडीम एल. के. खरे नगर निगम का अतिक्रमण शाखा थाना बागसेवनिया का पुलिस बल लेकरअवैध तरीके से बेची गई जमीन पर बनाए गए मकानों को आखिर तोड़ ही दिया नगर निगम अतिक्रमण शाखा एवं एसडीएम एल. के.खरे के द्वारा यह कार्रवाई जो की गई है वह बड़ी सराहनीय है सारा प्रशासन प्रशंसा का पात्र है।
अब सवाल यह है गोविंदपुरा क्षेत्र में ऐसे बहुत सारे भू माफिया का अतिक्रमण है क्या एक के बाद एक नगर निगम अतिक्रमण शाखा और राजधानी का प्रशासन इस तरह के भूमाफिया द्वारा हथियाई गई शासकीय भूमि को आजाद करने की कार्रवाई निरंतर जारी रखेगा या फिर इतना ही कुछ करके खामोश बैठेगा।
यहां नगर निगम अतिक्रमण शाखा और एसडीएम को याद दिलाना चाहते हैं इसी क्षेत्र में श्री आदि परिसर शॉपिंग सेंटर भी अवैध बनाया गया है जिस की पूर्व में कई खबरें प्रकाशित हुई है एवं शिकायत भी एसडीएम और नगर निगम को दी गई है अब देखना यह है कि प्रशासन इसे भी संज्ञान में लेकर कब तक तोड़कर शासकीय भूमि को आजाद कराएगा ।