पंजाब को छोड़ किसी अन्य प्रदेशों में सिख नेताओं की हिम्मत नहीं
अपने आप को कहते हैं सिख नेता वही सिखो के साथ हो रहे अत्याचार को चुपचाप देख रहे
भोपाल. देशभर में हो रहे सिख समाज के अपमान को लेकर सिर्फ पंजाब ही ऐसा प्रदेश है जो पंजाबियों के मौलिक अधिकारों को लेकर गमंभीर रहता हैं
साथ में सिख समाज को खालिस्तानी जैसे अपमानित शब्दों का इस्तेमाल करने के साथ-साथ आए दिन सिख युवाओं के साथ मारपीट के मामलों में न्याय पाने के लिए आवाज उठती है तो केवल पंजाब से जागते जमीर वाले पंजाब के युवा, किसान , एवं धार्मिक निंहग सिंह जत्थेबंदिया अत्याचार के खिलाफ आए दिन मोर्चा खोल देती हैं अत्याचार को ना सहने के लिए आवाज बुलंद कर देती दुर्भाग्य तो बाकी प्रदेशों में रह रही सिख समाज का है जहां उनके अधिकारों एवं समस्याओं के लिए कोई आवाज बुलंद करने वाला सिख नेता नहीं देखा जा रहा है।
अगर हम बात करें मध्य प्रदेश की तो मध्य प्रदेश में भी कई गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटियां है जो अपने आप को सिख धर्म के ठेकेदार मानते हैं जिन्होंने समूची मध्य प्रदेश के गुरुद्वारों एवं गुरु घरों की गुल्लकों पर अपना कब्जा जमाया हुआ है अगर बात की जाए गुरु घर की गुल्लकों की तो सिख संगत के द्वारा गुरु साहिबानों में आस्था रखने एवं गुरु घरों में जाकर मात्था टेकने में जो भैटा चढ़ाई जाती है उसका उपयोग भी गरीब सिख परिवारों की मदद के लिए भी नहीं किया जाता है
मध्य प्रदेश की समूची गुरु घरों की गुल्लको का अगर हिसाब किया जाए तो करोड़ और अरबो रुपयो में निकलेगा ,लेकिन सवाल तो यह है आखिर यह रुपया कहां और किस काम में इस्तेमाल किया जाता है जहां तक देखा गया है लंगर चलाना,छविल लगाना, नगर कीर्तन निकालना, प्रकाश पुरव, शहीदी पूरव जैसे आयोजनों में रागी, ताड़ी, कीर्तनियो, को भैटा देने के सिवा और कहीं भी नहीं देखा जाता है। सिख समाज के किसी गरीब परिवार की सहायता जैसे शिक्षा ,इलाज, रोजगार, जैसी समस्याओं के लिए बहुत ही काम ना के बराबर जिम्मेदारी निभाना कहीं-कहीं देखा जा सकता है फिर अब सवाल यह है आखिर यह करोड़ों रुपया जो गुरु घरों की गुल्लको से इकट्ठा होता है वह कहां खर्च होता है बात समझ से परे हैं.? खैर यह कोई नई बात नहीं है वर्षों से चला आया है वर्षों तक चलता रहेगा इन गुल्लकों पर अधिकार कमेटी के कुछ चुनिंदा मेंबरों का ही बना रहेगा समाज का उद्धार तो सिर्फ एक मात्र सपना सा बना हुआ है।
मध्य प्रदेश यूपी और बिहार में जहां-जहां सिख समाज के परिवार कम संख्या में रहते हैं उन पर आए दिन रसूखदारों पुलिस या प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा डराना, धमकना, बेइज्जत करना एक चलन एवं फैशन सा बन गया है। सिख धर्म की मसीहा समझने वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार में पूरे देश में एक के बाद एक सिख समाज के ऊपर निरंतर हमले किए जा रहे हैं कहीं सिख समाज के लोगों को खालिस्तानी आतंकवादी जैसे देशद्रोही शब्दों से अपमानित कर देना सिख सरदार भाइयों की पगड़ियों पर हाथ डालकर बेइज्जत करना वगैरा-वगैरा , वर्तमान की घटनाओं में जैसे पांढुर्ना में सिख महिलाओं को पुलिस प्रशासन के द्वारा मारपीट करना हरियाणा के कैथल में अकेले सिख को कई लोगों के द्वारा खालिस्तानी कहकर उसे पीटना खंडवा बुरहानपुर खातेगांव जैसे इलाकों में निवास करने वाले सिखलीगर सिखो को पूरी तरह अपराधु गुंडो की गैंग मानना के साथ-साथ नवनिर्मित सांसद कंगना रनौत का समूची सिख समाज को खालिस्थानी अलगावादी कह देना इस बात की सत्ता के लिए काफी है देश की सरकार कोई भी हो मगर सिख धर्म के लोगों को न्याय दिलाने वाली कोई भी सरकार नहीं हैं ।सिख समाज को दुख तो सिर्फ इस बात का है भारतीय जनता पार्टी को समर्थन देना एवं भाजपा की सरकार में मोदी प्रधानमंत्री बनाना इसके लिए कुछ सिख नेताओं द्वारा सिख समाज को कहा जाना दिल्ली में सिख नेता का शहीदी दिनों में ढोल बजाना नाचना राजधानी भोपाल में लोकसभा सांसद आलोक शर्मा को जीताने की बधाई देकर यह कह देना कि हमारे द्वारा सिख समाज को इकट्ठा कर भाजपा को वोट डालकर जिताना और दोबारा से मोदी को प्रधानमंत्री बना देने की खुशी व्यक्त करने वाले उन भाजपा के सिख नेताओं के मुंह में दही क्यों जम जाता है उनकी जुवान चुप्पी क्यों पकड़े रहती है जब किसी सिख परिवार के साथ अत्याचार होता है या किसी सिख की पगड़ी का अपमान होता है, भाजपा की सरकार बनाने के लिए जगह-जगह सिख समाज को वोट डालने के लिए प्रेरित करने वाले सिख नेता आखिर कब सिख समाज के मौलिक अधिकारों की बात करेंगे उनके ऊपर हो रहे अत्याचारों में न्याय दिलाने की बात कब करेंगे।
सिख समाज के धार्मिक चिन्ह केसों का अपमान करने वाली निंदनीय घटना बिहार के बक्सर जिले में घटी है वहां भी स्थिति साफ है चार-पांच परिवारों का रहना बहुत काम सिख संख्या का होना जिसकी वजह से बक्सर जिले के कुछ बदमाश करण सिंह उर्फ़ रंजीत सिंह, बिट्टू सिंह उर्फ़ अनिल सिंह, बंटी सिंह उर्फ तेज प्रताप, नामक द्वारा जो आदतन अपराधी हैं वही की एक छोटी सी कपड़ा दुकान चलने वाले सिख देवेंद्र सिंह पिता स्वर्गीय प्रदीप सिंह को इन अपराधियों द्वारा रोक कर गाली गलौज करके डराया धमकाया जाना उससे पैसे की मांग करने का मामला सामने आया है पीड़ित देवेंद्र सिंह ने जानकारी देते हुए बताया यह तीनों आदतन अपराधी हैं हर समय हथियार से लैस रहते हैं पूर्व में कईयों बार मुझसे पैसे की मांग करते आये हैं दिनांक 06/06/ 2024 को समय 7:30 बजे जब वह व्यवसाय के संबंध में सिद्धघाट स्थित कपड़े के व्यवसाय के पैसो की वसूली करने गया था तभी वापसी में इन तीनों अपराधियों द्वारा उसे घेर लिया गया एवं उसके साथ पैसे छीनने की कोशिश की जाने लगी तभी तीनों अपराधियों ने उसके साथ हाथापाई शुरू कर दी इसी दौरान सिख युवक की पगड़ी गिर गई अपराधियों ने सिख धर्म का धार्मिक चिन्ह उसके केसों को पकड़कर घसीटते हुए एक तरफ ले गए जहां पहले उससे पैसे और उसके गले में पड़ी सोने की चेन को लूट गया बाद में हथियारों से उसके साथ मारपीट की गई सिख युवक के सर पर एवं उसके शरीर में काफी गंभीर छोटे आई हैं तीनों आरोपी उसे लूट कर मृत्यु होने जैसी स्थिति में पहुंचा कर भाग गए खड़े हुए।
इस घटना की सूचना जब उनके परिवार वालों को मिली तो वह घबराए हुए हमले वाले स्थान पर पहुंचे जहां बेहोशी की हालत में जख्मी खून से लटपट पड़ा हुआ देवेंद्र सिंह मिला परिवार के लोगों ने तत्काल अस्पताल का सहारा लिया उसके पश्चात टाउन पुलिस थाना बक्सर में पहुंच कर शिकायत दर्ज कराई इस सारे घटनाक्रम को हुए 8 दिन बीत चुके हैं लेकिन अपराधियों को अभी तक वहां की पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाई है सूत्र बता रहे हैं 1 अपराधी के परिवार का मेंबर बक्सर जिले का नामी ग्रामी वकील है शायद इसी वजह से यह अपराधी खुलेआम लूट एवं अलीबाजी की घटनाओं को अंजाम कई वर्षों से दे रहे हैं और पुलिस मुख्य दर्शक बनी देखती रहती है अगर बक्सर पुलिस वाकई गंभीरता के साथ अपना काम करती तो यह तीनों अपराधी बार-बार इस तरह की घटना को अंजाम नहीं दे सकते थे कई वर्ष पूर्व में जेल के अंदर भेजे जा चुके होते।
अब सवाल यह खड़ा होता है मध्य प्रदेश यूपी हरियाणा बिहार जैसे प्रदेशों में एक के बाद एक निरंतर सिख धर्म के व्यक्तियों को निशाना बनाते हुए घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है लेकिन किसी भी भारतीय जनता पार्टी के सिख नेता का समाज के लोगों के प्रति कोई बयान बाजी करने को तैयार तक नहीं है मध्य प्रदेश में तो जैसे सभी कमेटियों के मुंह में दही जम गया हो उनकी जुबान खुलने को राजी नहीं हैं यह सिर्फ तभी खुलती है जब किसी बीजेपी के नेता को गुरुद्वारों में बुलाकर सम्मानित करना हो या फिर भाजपा की सरकार बनाने के लिए वोट मांगना हो, इससे तो यह साबित होता है मध्य प्रदेश की सभी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटियां के साथ बीजेपी के अंधभक्त सिख नेता सिर्फ अपनी-अपनी दुकान चलाने चाहते हैं उन्हें समाज की समस्याओं से कोई लेना देना नहीं है। अब देखना यह है देश में इतनी राजनीतिक पार्टियों में बड़े-बड़े ओहधों पर बैठे कौन शासक नेता या प्रदेश की कौन सी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी है जो सिख समाज के मान सम्मान के लिए सामने आता है।