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एससीओ ने खत्‍म किया पुतिन का वनवास? मोदी, जिनपिंग के सामने रूसी राष्‍ट्रपति ने याद दिलाया एक वादा

मॉस्‍को: जून के अंत में रूस के प्राइवेट आर्मी ग्रुप वैगनर ने राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन के खिलाफ विद्रोह छेड़ दिया था। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में हुआ शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) सम्‍मेलन वह पहला मौका था जब पुतिन दुनिया के सामने आए। सम्‍मेलन हालांकि वर्चुअल था लेकिन पुतिन की मौजूदगी काफी खास थी। यह पहला ऐसा अंतरराष्‍ट्रीय मंच था जिसका प्रयोग पुतिन ने दुनिया का एक खास संदेश देने के लिए किया कि वह न तो अकेले हैं और न ही कहीं छिपे हुए हैं।
दुनिया के सामने आए पुतिन
पिछले महीने जब वैगनर चीफ येवगेनी प्रिगोझिन ने पुतिन के खिलाफ विद्रोह छेड़ा तो राष्‍ट्रपति ने जनता को संबोधित किया। उसके बाद पुतिन का मैसेज तो आया लेकिन पुतिन कहां हैं और कैसे हैं यह बात किसी को नहीं पता लगी। विशेषज्ञों के मुताबिक एससीओ में आकर उन्‍होंने दुनिया को बता दिया है कि वह कमजोर नहीं पड़े हैं। पुतिन सम्‍मेलन में भारतीय पीएम मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, साथ ही पाकिस्तान और कजाकिस्तान सहित कई पश्चिमी एशिया के देशों के नेताओं और प्रतिनिधियों के साथ शामिल हुए थे। पुतिन ने एससीओ के नेताओं को अपने नागरिकों की संवैधानिक व्यवस्था, जीवन और सुरक्षा की रक्षा में रूसी नेतृत्व के प्रति अपना समर्थन व्यक्त करने के लिए धन्यवाद भी दिया।

रूस के एक प्रस्‍ताव की दिलाई याद
पुतिन ने इस दौरान कहा कि रूस बाहरी दबाव, प्रतिबंधों और उकसावों का विरोध करना जारी रखेगा और रूस की जनता पहले से कहीं अधिक एकजुट हैं। उन्‍होंने कहा, ‘आतंकवाद का मुकाबला, उग्रवाद और धार्मिक कट्टरवाद का मुकाबला, मादक पदार्थों की तस्करी और अन्य प्रकार की तस्करी पर अंकुश लगाना, आतंकवादी संरचनाओं का मुकाबला करना एससीओ की प्राथमिकता रहेगी।’ उन्‍होंने इस दौरान रूस के उस प्रस्‍ताव को याद दिलाया कि जिसमें क्षेत्रीय एससीओ के आतंकवाद-विरोधी ढांचे को अंतरराष्‍ट्रीय ढांचे में बदलने की बात कही गई थी। उनका कहना था कि यह वह सिस्टम होगा जिसके तहत सुरक्षा के हर खतरे का सामना किया जा सकेगा।

रूस के लिए सम्‍मेलन का महत्‍व
रूस में हाल की घटनाओं और यूक्रेन में युद्ध के बीच, शिखर सम्मेलन का राजनीतिक महत्व इस समूह के लिए बहुत गहरा है। एससीओ भौगोलिक और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके सदस्य देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में करीब 30 फीसदी का योगदान करते हैं और ये देश दुनिया की करीब 40 फीसदी आबादी का घर हैं। कभी-कभी आलोचक एससीओ को एक ‘नाटो-विरोधी’ गठबंधन के तौर पर देखते हैं जबकि कुछ विशेषज्ञ ऐसा मानने से इनकार कर देते हैं। हालांकि इसके सदस्यों ने संयुक्त सैन्य अभ्यास किया है।

पुतिन के साथ ईरान और चीन
एससीओ, रूस और चीन को उन देशों के साथ मजबूत संबंधों को बढ़ावा देने के लिए एक मंच प्रदान करता है जो सहयोगी न होते हुए भी उनके साथ व्यापार करने में खुश हैं। मंगलवार को रूस और चीन ने एससीओ देशों के साथ और ज्‍यादा काम करना चाहते हैं। पुतिन ने एससीओ देशों के बीच अधिक आर्थिक एकीकरण की वकालत की। साथ ही यह भी सुझाव दिया कि समूह को सुरक्षा सहयोग बढ़ाने की जरूरत है। उनकी इस का चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग और ईरानी समकक्ष इब्राहिम राईसी ने दोहराए।

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