Bhopal

प्रदेश के पत्रकारों को साधने की जुगत मैं लगे प्रदेश के मुख्यमंत्री.

भोपाल. आखिर आम जनता को यह समझ में नहीं आ रहा है कि अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को समाज का हर तबका अब क्यों वीआईपी लगने लगा है? पत्रकार प्रोटेक्शन एक्ट की मांग तो बहुत पुरानी है यकायक आज प्रदेश के मुख्यमंत्री को अचानक कैसे पत्रकारों की याद आ गई समझ से परे है भारी संख्या में सरकारी संसाधनों को झोंकते हुए प्रदेश की राजधानी भोपाल में प्रदेश भर के पत्रकारों को इकट्ठा कर पत्रकार प्रोटेक्शन एक्ट की घोषणा करना यकायक भारी भरकम स्टेट मीडिया सेंटर के निर्माण की घोषणा करना आखिर क्या संदेश देता है. प्रदेश के पत्रकार जिनका जिले स्तर पर आमतौर पर इस विभाग के सरकारी प्रतिनिधि पी.आर.ओ. से अत्यंत नजदीकी रिश्ता होता है उनके मांनमनोबल के कारण इतनी भारी संख्या में पत्रकारों का प्रदेश के कौने कौने से भोपाल पहुंचना अथवा पहुंचाया जाना प्रदेश की आम जनता और बुद्धिजीवी वर्ग में क्या संदेश देता है यह सभी के समझ में आ रहा है लेकिन तूफान आने के पहले की शांति की भांति सब शांत बैठे हुए हैं. सरकार किसकी बनती है किसकी नहीं बनती है इससे पत्रकारों को क्या लेना देना वह तो लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है और पूरी निष्पक्षता और निर्भयता के साथ वह अपना कर्तव्य पूरा कर रहा है.

लेकिन पत्रकारों के प्रति राजनीतिक निष्पक्ष ता प्रदर्शित करना भी राजनीतिक दलों का कर्तव्य है अच्छा होता यदि तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ अपनी शपथ ग्रहण के साथ अथवा वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी तीसरी पारी में शपथ ग्रहण के साथ ही पत्रकारों की सुध लेते तब ही लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के लिए एक सुखद संदेश जाता. खैर देर आया द दुरुस्त आयद की तर्ज पर सरकार का यह निर्णय प्रशंसनीय है इंतजार तो रहेगा पत्रकार जगत के हित की इन घोषणाओं का क्रियान्वयन कब कैसे और कितनी जल्दी होता है.

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