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क्लीन नोट पॉलिसी क्या है? 2000 रुपये के नोट को वापस लेने से इसका क्या है संबंध, यहां समझिए पूरी बात

नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने दो हजार रुपये के नोट को वापस लेने का ऐलान किया है। नोटों को बदलने की प्रक्रिया कल यानी 23 मई 2023 से शुरू हो जाएगी। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने बताया कि क्लीन नोट पॉलिसी (Clean Note Policy) के तहत 2000 रुपये के नोट को वापस लेने का कदम उठाया गया है। आरबीआई ने बैंकों को 30 सितंबर 2023 तक दो हजार रुपये के नोट जमा करने और बदलने की सुविधा दी है। क्या आपको पता है आरबीआई की क्लीन नोट पॉलिसी क्या है? आरबीआई को 2000 रुपये के नोट वापस लेने की जरूरत क्यों पड़ी है?

क्या है क्लीन नोट पॉलिसी

RBI ने 2000 रुपये के नोटों को क्लीन नोट पॉलिसी के तहत वापस ले रही है। क्लीन नोट पॉलिसी को साल 1988 में लोगों तक अच्छी क्वालिटी के नोट उपलब्ध कराने के लिए लाया गया था। इस पॉलिसी को देश में जाली नोटों के सर्कुलेशन पर लगाम कसने के लिए पेश किए गए थे। आरबीआई एक्ट 1934 की धारा 27 के मुताबिक, कोई भी शख्स किसी भी तरीके से नोटों को ना तो नष्ट करेगा और ना ही उससे किसी तरह की छेड़छाड़ करेगा। इस पॉलिसी का लक्ष्य नोटों को सर्कुलेशन में बनाए रखने के साथ-साथ साफ भी रखना था। डिजिटल पेमेंट को और सिक्योर बनाने के लिए नई क्लीन नोट पॉलिसी को एक अक्टूबर 2018 से लागू की गई थी।

क्लीन नोट पॉलिसी में क्या होता है

दिसंबर 2013 में आरबीआई की ओर से क्लीन नोट पॉलिसी के तहत बैंकों को खराब, गंदे और डैमेज नोटों को अच्छे क्वालिटी वाले नोटों के साथ बदलने के लिए कहा गया था। क्लीन नोट पॉलिसी के तहत, बैंक और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट को अनफिट या डैमेज नोटों को सर्कुलेशन से बाहर करना होता है। इसके साथ इन नोटों को नए नोटों के साथ बदलना होता है। आरबीआई की इस नीति के तहत सर्कुलेशन में नोटों की क्वालिटी को मॉनिटर किया जाता है।

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