शहर में शिफ्टिंग की तीन बड़ी योजनाएं फाइलों में कैद
भोपाल । शहर के लोगों को बेहतर यातायात व्यवस्था देने और प्रदूषण से मुक्ति दिलाने के लिए प्रशासन ने शिफ्टिंग की तीन योजनाएं बनाईं थी, जो अब पूरी तरह से ठंडे बस्ते में हैं। दरअसल अधिकारियों के सुस्त रवैये से योजनाएं धरातल पर नहीं उतर सकी हैं। 40 साल से लंबित आरा मशीन शिफ्टिंग की योजना पर सहमति बनी, लेकिन काम शुरू नहीं हो सका है। वहीं डेरियों और जुमेराती थोक बाजार शिफ्टिंग की योजना फाइलों में बंद होकर रह गई। इससे लोगों को जाम, सड़क पर मवेशी सहित अन्य समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।
आरा मशीन : 40 साल बाद बनी सहमति, लेकिन शुरू नहीं हुई शिफ्टिंग
शहर में संचालित आरा मशीनों व लकड़ी के पीठों को शिफ्ट करने की कवायद पिछले 40 सालों से चली आ रही है। इसको लेकर चांदपुर, अगरिया छापर आदि जगहों को चिह्नित किया गया था लेकिन कोई सहमति नहीं बन पा रही थी। जबकि दो महीने पहले कलेक्टर आशीष सिंह के निर्देशों के बाद प्रशासनिक अमले और कारोबारियों की बीच चली चर्चा के बाद परवलिया सड़क स्थित छोटा रातीबड़ में कारोबारियों ने शिफ्ट होने पर सहमति जता दी है, लेकिन कागजी प्रक्रिया ही शुरू नहीं हो सकी है। इससे पातरा, बरखेड़ी, पुल बोगदा, छोला, छावनी मंगलवारा क्षेत्र में संचालित 150 से अधिक आरा मशीनों और लकड़ी के पीठों की शिफ्टिंग अटकी हुई है।
इसलिए की जानी है शिफ्टिंग
अधिकांश आरा मशीनें व लकड़ी के पीठे सार्वजनिक और रिहायशी क्षेत्रों में हैं। इनके कारण शोर -शराबा, ट्रैफिक जाम और वायु प्रदूषण की समस्या रहती है। इन क्षेत्रों से गुजरने वालों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इनकी शिफ्टिंग होने से समस्याओं से राहत मिल जाएगी।
डेयरियां – पांच साल से चल रही कवायद
शहर के विभिन्न क्षेत्रों में 800 से अधिक डेरियां संचालित हो रही हैं। इस वजह से सड़कों पर मवेशियों का जमावड़ा लगा रहता है। शहर में जिन क्षेत्रों में यह संचालित हो रही हैं वहां पर गंदगी और बदबू की समस्या बनी हुई है। पांच साल से इनकी शिफ्टिंग करने की कवायद चल रही है, लेकिन अधूरे इंफ्रास्टक्चर और डेयरी संचालकों के पास लाइसेंस नहीं होने के चलते मामला अटक गया है। बता दें कि शहर के सेंट्रल लायब्रेरी, इतवारा, गोविंदपुरा, सेमरा, बरखेड़ी, पिपलानी, करोंद, संतनगर, कोलार, अयोध्या बायपास, चांदबड़, मिसरोद, रूप नगर , राजीवनगर, आनंद नगर आदि क्षेत्र में डेरियां संचालित हो रही हैं।
यहां होनी थी शिफ्टिंग
शहर से लगे दीपड़ी, कालापानी, परवलिया, मुगालिया कोट और भौंरी में डेरियों को शिफ्ट किया जाना था। यहां सुविधाओं के अभाव में यह काम रुक गया है, हालांकि अब शहर की सड़कों पर मवेशियों की बढ़ती संख्या और घनी आबादी के बीच इनका संचालन मुसीबत बना हुआ है।
थोक बाजार की शिफ्टिंग : 16 साल में 12 से अधिक बैठकें, नहीं हुआ कोई असर
शहर के प्रमुख जुमेराती थोक बाजार की शिफ्टिंग को लेकर 16 साल से कवायद चली आ रही है, लेकिन कोई हल नहीं निकल सका है। इसको लेकर शासन, जिला प्रशासन और मंडी बोर्ड के अधिकारियों के बीच कई बैठकें हो चुकी हैं। यहां की संकरी सड़कों पर दिनभर जाम, धूल, धुएं के बीच व्यापार का संचालन हो रहा है। अनाज थोक बाजार के लिए 2016 में 65 करोड़ रुपये तक मंजूर कर दिए थे, लेकिन अब तक काम शुरू नहीं हो सका है। बता दें कि जुमेराती में दाल, चावल, शकर सहित अन्य कई थोक बाजार हैं।जिसमें 500 से अधिक दुकानें हैं।
इसलिए नहीं हो पाई शिफ्टिंग
थोक बाजार को करोंद में शिफ्ट करने के लिए व्यापारियों ने सहमति तो दी थी, लेकिन व्यापारी भूतल पर ही अधिक से अधिक दुकानों की मांग कर रहे थे। जबकि मंडी समिति का कहना था कि कांप्लेक्स में लिफ्ट के साथ ही लोडिंग – अनलोडिंग की सुविधा दी जाएगी। इसी के चलते मामला अटक गया है।
इनका कहना है
आरा मशीन शिफ्टिंग को लेकर परवलिया सड़क स्थित छोटा रातीबड़ गांव में जगह पर कारोबारियों ने सहमति जताई है। जिसकी कागजी कार्रवाई करने के लिए एसडीएम और जिला उद्योग केंद्र के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। कागजी प्रक्रिया पूरी होते ही उन्हें जगह आवंटित कर शिफ्टिंग शुरू कर दी जाएगी। वहीं जुमेराती थोक बाजार और डेरियों की शिफ्टिंग पर भी काम शुरू किया जाएगा।