ब्लिंकन के सामने ‘वन चाइना’ की रट, उधर ब्रिटेन ने ताइवान पर दबाई चीन की कमजोर नस, तिलमिला उठा ड्रैगन!
बीजिंग : अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने रविवार को बीजिंग में बैठकें शुरू कीं। वह पांच साल में चीन का दौरा करने वाले पहले शीर्ष अमेरिकी राजनयिक हैं। बढ़ते द्विपक्षीय तनाव को कम करने के उद्देश्य से बीजिंग पहुंचे ब्लिंकन ने रविवार को ताइवान और यूक्रेन युद्ध सहित कई मुद्दों पर अपने चीनी समकक्ष किन गांग के साथ व्यापक बातचीत की। दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच विवादों की लंबी सूची है। अमेरिका के हवाई क्षेत्र में चीन का कथित जासूसी गुब्बारा नजर आने के बाद फरवरी में ब्लिंकन ने अपनी चीन की यात्रा रद्द कर दी थी।
चीन के विदेश मंत्री किन गांग ने इमारत के अंदर की बजाय बीजिंग के दियोयुताई स्टेट गेस्टहाउस के मैदान में दरवाजे पर ब्लिंकन और उनके समूह का स्वागत किया। दोनों ने ताइवान से लेकर व्यापार पर स्पष्ट बातचीत की और अपनी वार्ता को वॉशिंगटन में एक बैठक के साथ आगे बढ़ाने पर सहमत हुए। डिनर के साथ करीब साढ़े पांच घंटे तक चली मीटिंग के बाद बोलते हुए अमेरिका और चीनी मंत्रियों ने स्थिर संबंधों पर जोर दिया। लेकिन चीन स्पष्ट किया कि वह ताइवान को सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा और सबसे बड़ा जोखिम मानता है।
चीन की पुरानी ‘वन चाइना’ रट
अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि ब्लिंकन ने किन गांग के साथ अपनी बातचीत में ‘गलत धारणा और गलत अनुमान के जोखिम को कम करने की आवश्यकता’ पर जोर दिया। चीन की सरकारी मीडिया के अनुसार, किन ने ब्लिंकन से कहा कि ताइवान का मुद्दा चीन के मूल हितों का केंद्र है। यह चीन-अमेरिका संबंधों में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है और सबसे बड़ा जोखिम है।’ ‘वन चाइना पॉलिसी’ के तहत चीन ताइवान पर अपना दावा करता है और उसे मेनलैंड चाइना में मिलाने की कसम खा चुका है।
ब्रिटेन ने दबाई चीन की कमजोर नस
दूसरी ओर लंदन में चीनी दूतावास ने रविवार को ब्रिटेन के सिक्योरिटी मिनिस्टर टॉम तुगेंदत और ताइवान के डिजिटल मंत्री के बीच हुई बैठक की निंदा की। चीन ने इसे अंतरराष्ट्रीय संबंधों का उल्लंघन बताया है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने शुक्रवार को बताया कि तुगेंदत ने बुधवार को ब्रिटेन की यात्रा पर आए ताइवान के डिजिटल मामलों के मंत्री ऑड्रे टैंग से मुलाकात की थी। एक सूत्र ने कहा कि उन्होंने आपसी सुरक्षा हितों पर चर्चा की। चीन ताइवान के मंत्रियों की विदेशी यात्राओं और पश्चिमी नेताओं के ताइवान दौरे का कड़ा विरोध करता रहा है।