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वन विभाग संभागीय उड़न दस्ते का प्रभारी रेंजर क्या मचाएगा कई जिलों में धूम




पूर्व में भोपाल उड़न दस्ता प्रभारी रह चुका है भ्रष्टाचार में लिफ्ट होने की वजह से तबादला कर पहुंचा था टाइगर रिजर्व पन्ना


मंत्री और मंत्रालय में घुसपैठ बनाकर एड़ी चोटी का जोर लगा कर पहुंचा वापस उड़न दस्ता भोपाल वन मंडल अधिकारी आलोक पाठक ने कहा हमारे पास तो पहले से रेंजर प्रभार में हैं दूसरे को हम प्रभार नहीं दे सकते जगह खाली नहीं है

रेंजर राजकरण चतुर्वेदी

संभागीय उड़ानदस्ते में नवनिर्मित प्रभारी जो पूर्व में उड़न दस्ता भोपाल में भ्रष्टाचार की सुर्खियों में रहा




भोपाल . राजधानी के वन मंडल अधिकारी के अधीनस्थ उड़न दस्ता भोपाल आता है जहां एक के बाद एक रेंजर इस कुर्सी पर विराजमान होना चाहते हैं वजह सिर्फ इतनी इतनी सी हैं मलाईदार कुर्सी का होना इसी मलाईदार कुर्सी पर 2 वर्ष पूर्व में एक डिप्टी रेंजर काफी मलाई का आनंद ले चुका है जिसका खुलासा राजधानी के कई मीडिया संस्थानों के द्वारा किया जा चुका था जिसके भ्रष्टाचार के कारनामे के बाद एक उजागर हुए थे उक्त ड्यूटी रेंजर पदस्थ तो भोपाल जिले में था लेकिन इसकी कार्रवाई अक्सर रायसेन, सीहोर, एवं राजगढ़ जिलों में देखी जाती थी सूत्र बताते थे बाहरी जिलों में वह शिकारी और लकड़ी तस्करों को पकड़ता था और भोपाल जिले में आरा मशीन और लकड़ी तस्करों पूरा संरक्षण देता था इतना ही नहीं लकड़ी से भरे  वाहनों को दूसरों जिलों से पड़कर भोपाल जिले की सीमा में लेकर आता था पहले उनसे पैसे की मांग करता था नहीं दिए जाने पर उक्त वाहनों को जप्त कर अहमदपुर डिपो में खड़ा कर देता था हालांकि बाद में वह सारे वाहन मोटा पैसा लेकर छोड़ दीये  जाते थे इनके द्वारा बगैर टीपी की लकडि़यों से भारे वाहनों का जुर्माना लगाकर छोड़ते थे  निर्धारित जूर्माने की राशि के अलावा अलग से पैसा लिया जाता था कभी डीएफओ तो कभी सीसीएफ के नाम पर ऐसा ही एक प्रकरण इनके द्वारा श्यामपुर के नजदीक कोठरी के एक लकड़ी कारोबारी का सुर्खियों में आया था जिसका बगैर टीपी अवैध लकड़ी से भरा हुआ वाहन उक्त डिप्टी रेंजर के द्वारा जप्त किया गया था पहले लकड़ी कारोबारी से मोटा पैसा मांगा गया नहीं दिए जाने पर
उस वाहन जप्त करके अहमदपुर डिपो थाना बागसेवनिया के नजदीक खड़ा कर दिया गया।

हालांकि बाद में उस वाहन को जुर्माना लगाकर छोड़ दिया गया बवाल तो उस समय मचा जब जुर्माना लगाने के बाद भी उस  लकड़ी कारोबारी से डीएफओ के नाम पर भी पैसा मांगा गया जितना जुर्माना किया गया था उससे कई गुना ज्यादा उससे पैसा जमा कराया गया और मात्र थोड़े से रूपयों की राशिद उसे टिका दी गई।  वास्तव में वह व्यक्ति लकड़ी कारोबारी नहीं था उसे लकड़ी माफिया कहां जा सकता है क्योंकि वह अक्सर बगैर टीपी के ही लकडि़यां परिवहन करता था भोपाल की कई आरा मशीनो पर  अवैध लकडि़यों को बैचा करता था ऐसे उस क्षेत्र में कई व्यक्ति थे जो रेंजर और उसके अधीनस्थ टीम के स्थाई वन कर्मियों की साथ गांठ से चोरी की लकडि़यों का परिवहन बड़े पैमाने पर करते थे लकड़ी माफिया पहले उनके मोबाइल फोन पर गाड़ी का फोटो एवं नंबर भेज दिया करते थे और फिर वन कर्मचारी पैसा लेकर उन वाहनों को पास करवा देते थे एवं आसानी से अवैध लकड़ी आरा मशीनों पर डंप हो जाती थी , इसके बदले रेंजर और स्थाई वन कर्मचारी बदले में पैसा लिया करते थे इसके कई वीडियो कई ऑडियो राजधानी भोपाल में वायरल हो चुके हैं जो सत्यता के लिए काफी थे।

लगभग 2020 से 2022 में रहे भोपाल उड़न दस्ता प्रभारी डिप्टी रेंजर राजकरण चतुर्वेदी के कार्यकाल में ऐसे कई भ्रष्टाचार के कारनामे किए गए हैं जिसकी अगर बारीकी से जांच पड़ताल की जाऐ तो कई मामले निकलेगे सूत्रों द्वारा उनके कार्यकाल में कई ऐसी जानकारियां प्राप्त हो रही थी जिसमें कई तो वन विभाग के ही कर्मचारी सूत्र थे उनका कहना था भोपाल जिले की आरा मशीन पर बगैर टीपी का माल डंप होता था उसमें संरक्षण रेंजर का ही होता था कुछ ऐसी भी राजधानी की आरा मशीन है जिस पर रेंजर के चहेते उसके दाएं बाएं चलने वाले कुछ स्थाई वन कर्मी थे जिनके फोन पर भी गाड़ियों के नंबर और फोटो आते थे और वह रेंजर के साथ आंख मिचोली का खेल खेलते थे लकड़ी माफियाओं से पैसा लेकर अवैध लकड़ी से भरे वाहनों  को पास कर देते थे, ऐसा ही भ्रष्टाचार का एक कारनामा 2022 में हुआ था कोठारी के लकड़ी माफिया ने बगैर टीपी की लकड़ी से भरा हुआ वाहन उसने भोपाल की किसी आरा मशीन पर भेजा था तभी रत्नागिरी तिराहे पर रेंजर के द्वारा उक्त वाहन को पकड़ लिया गया पहले तो मोटे पैसे की मांग की गई लकड़ी माफिया के द्वारा मुंह मांगा पैसा न दिए जाने पर उक्त वाहन को जप्त कर अहमदपुर डिपो में खड़ा कर दिया गया, हालांकि बाद में उस वाहन को जुर्माना लगाकर छोड़ दिया गया उक्त वाहन पर भी जुर्माने की राशि से कई अधिक पैसा लिया गया और मात्र थोड़े से पैसों की रसीद थमादी गई जिससे लकड़ी माफिया झूल्ला गया उसने आव देखा ना ताव रेंजर की लिखित शिकायत वरिष्ठ अधिकारियों को कर दी अधिकारियों ने संज्ञान में लिया जांच कराई गई उक्त प्रकरण में रेंजर को दोषी मानते हुए उसका तबादला टाइगर रिजर्व पन्ना कर दिया गया । रेंजर के कारनामे यहां नहीं ठहरते पदस्थ तो पन्ना में था लेकिन आए दिन राजधानी भोपाल में देखा जा रहा था कभी मंत्री के बंगले पर कभी मंत्रालय में कंसोटियां के अधीनस्थ विभाग स्थापना में तो कभी चाय की होटल सेकंड स्टॉप पर अब यहां एक प्रश्न बिंदु लगता है आखिर उसे विभाग के द्वारा कितनी छुट्टियां दी जाती थी कहीं ऐसा तो नहीं था हाजिरी पन्ना में लगाई जा रही हो और छुट्टी राजधानी भोपाल में बताई जा रही हो यह भी एक जांच का विषय है। विभाग के ही सूत्रों ने नाम न छापने की शर्त पर जानकारी देते हुए बताया पूर्व में रहे वन मंत्री से इस डिप्टी रेंजर की काफी नजदीकियां बताई जा रही थी आए दिन फलों की डलियां, मिठाई के डब्बे, लेकर मंत्री के बंगले पर जाते दिखाई भी दे जाता था शायद यही कारण रहा मंत्री और मंत्रालय के चक्कर काटते हुए एड़ी चोटी का जोर लगाकर वापस उसने अपना तबादला उड़न दस्ता भोपाल में करवा लिया यहां कमाल तो उस वक्त हुआ 2023 पूर्व रेंजर अनिल शर्मा के रिटायरमेंट के बाद डिप्टी रेंजर दिनेश जोशी को उड़न दस्ता भोपाल का प्रभार विभागीय पदोन्नति देकर रेंजर बनाकर सौंप दिया गया ठीक उसी उड़न दस्ते में दूसरे रेंजर का भी तबादला हो गया यह जानकारी जब मीडिया को लगी तो मीडिया ने एक कुर्सी पर दो रेंजरा का बैठने वाली बात समझ नहीं आई इसी सिलसिले में वन मंडल अधिकारी आलोक पाठक से जब बातचीत की गई तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कह दिया हमारे पास तो एक ही पद था उस पर प्रभारी रेंजर प्रभार संभाले हुए हैं दूसरे का स्थानांतरण भी यहां हो गया हमारे पास तो जगह खाली नहीं है इसका निर्णय वरिष्ठ अधिकारी लेगे अपने रसूक एवं मंत्री और मंत्रालय में घुसपैठ  की ताकत को लेकर डिप्टी रेंजर ने तबादला तो करा लिया लेकिन उसे विभाग के अधिकारियों ने खाली कार्यालय पर बिठा रखा दो-चार महीने निकल जाने के बाद अब उसे संभागीय उड़न दस्ता जो सीसीएफ राजेश खरे का है उक्त रेंजर को उसका प्रभारी बना दिया गया है अब देखना यह है पूर्व में भोपाल में पदस्थ रहे इस रेंजर की काली करतूतो से सभी विभागीय अधिकारी के साथ-साथ राजधानी के कई मीडिया संस्थान भली भांति परिचित है अब देखना यह हैं रेंजर संभाग में आने वाले कई जिलों में क्या गुल खिलाता है एवं पूर्व की तरह कहानी को दोहराया तो नहीं जाएगा जिसकी वजह से अधिकारियों ने इसका तबादला टाइगर रिजर्व पन्ना किया था मंत्री और मंत्रालय में अच्छी काशी पहुंच होने का फायदा उठाते हुए  पूरे संभाग के लकड़ी माफियाओं को संरक्षण तो नहीं दे दिया जाएगा यह सीसीएफ राजेश करे के लिए भारी चिंता का विषय है जैसे पूर्व में वन मंत्री और मंत्रालय में बड़ा रसूक रखने वाला मात्र एक वनपाल को संभागीय उड़न दस्ते का प्रभारी बना दिया गया था जो कई जिलों में आरा मशीनो के ऊपर जाकर मोटी रकम की वसूली कर रहा था टीपी वाले वाहनों को भी बगैर टीपी वाले वाहन बात कर अच्छा खासा पैसा समेट रहा था जिसकी कई खबरें मीडिया संस्थानों के माध्यम से प्रकाशित की गई सागौन जैसे लकड़ी से भरे वाहनों को पैसा लेकर छोड़ने के कई वीडियो भी वायरल हुए थे जो प्रमाणिकता के लिए काफी थे जिसके वजह से अधिकारियों ने संज्ञान में लिया तब जाकर वरिष्ठ अधिकारियों के सर पर नाचने वाले वनपाल का तबादला किया गया सूत्र बताते हैं वह रेंजर तो 19 था वर्तमान में जो पदस्थ हुए हैं रेंजर वह 20 है अब देखना यह है वरिष्ठ अधिकारियों के सर पर नाचने के प्रतिक्रिया शुरू होती है या वरिष्ठ अधिकारी अपनी नकल इस रेंजर पर कसे रहेंगे।

इनका कहना है…

मुझे नहीं पता इनका तबादला उड़न दस्ता भोपाल में कैसे कर दिया गया वहां पर तो अभी-अभी प्रभारी रेंजर दिनेश जोशी को प्रभार सोपा गया है उड़न दस्ता भोपाल में जगह तो खाली नहीं है अब उन्हें कहां रखना है इसका फैसला वरिष्ठ अधिकारी करेंगे।

आलोक पाठक
वन मंडल अधिकारी भोपाल

इनका कहना है…

तबादला उनका हुआ तो है ऑफिस में खाली बैठे थे अब कहीं ना कहीं उनसे काम तो लेना था इसीलिए उन्हें मेरे उड़न दस्ते का प्रभार सौंप दिया गया है लेकिन उन पर पूरी तरह नजर रखी जाएगी मनमर्जी वे नहीं कर सकते जहां भी जांच में उड़न दस्ता जाएगा उसके लिए आदेश मेरा होगा मेरे बगैर अनुमति के कहीं भी अगर रेंजर उड़नदस्ता लेकर कार्यवाही करता है तो में  विभागीय लिखित कठोर कार्रवाई करूंगा किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार को मेरे द्वारा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा में साफ़ सूतरी कार्य प्रणाली पर विश्वास रखता हूं।

राजेश खरे
सीसीएफ भोपाल

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