शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी के बलिदान दिवस पर नमन! संतोष गंगेले कर्मयोगी
जंगे ए आजादी के लिए प्राणों की आहुति देकर अमर शहीद गणे
छतरपुर :अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी जी की आज 90 वीं पुण्यतिथि बलिदान दिवस पर विशेष लेख के माध्यम से हम भारत के उन तमाम पत्रकारों साहित्यकारों कवियों को अपने विचारों से प्रभावित करना चाहते हैं जो वर्तमान में पत्रकारिता के लक्ष्य को और सिद्धांतों को भटक कर निजी स्वार्थों में लगे हुए हैं
भारत की आज़ादी दिलाने के लिए सन 1857 से आजादी का सपना लेकर भारत देश में जगह जगह आंदोलन शुरू हो चुके थे 1890 ईसवी अतरसुइया प्रयागराज मोहल्ले में शिक्षक श्री जय नारायण कायस्थ की धर्मपत्नी का ग्रैंड अवस्था 26 अक्टूबर 1890 एक बालक ने मामा के घर जन्म दिया कुछ समय मामा जी के यहां रहने के बाद शिक्षक से नीचे नादान एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती चंद्रप्रकाश पति अपने पुत्र को लेकर मुंगावली अशोकनगर विद्यालय में प्राथमिक और माध्यमिक शाला में शिक्षण ग्रहण करने के बाद मध्य प्रदेश के विदिशा में पिताजी के साथ कुछ समय तक शिक्षा के नीति इसी दौरान भारत की आजादी में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आंदोलन में बाल गंगाधर तिलक के सानिध्य में आकर आंदोलन में भूमिका निभाने लगे साहित्य कवि में रुचि होने के कारण समाचार पत्रों पत्रिकाओं जो उस समय प्रकाशित होते थे उनमें लिखना शुरू किया इसी बीच पंडित महावीर प्रसाद द्विवेदी पंडित माखनलाल चतुर्वेदी पंडित बनारसीदास चतुर्वेदी पंडित बालकृष्ण शर्मा नवीन एवं महा मना पंडित मदन मोहन मालवीय के साथ में रहकर पत्रकारिता लेखन में कार्य किया। कानपुर में सरकारी सेवा करते रहे और अचानक उन्होंने देश सेवा के लिए नौकरी छोड़ कर साहित्य जगत मैं अपनी लेखनी शुरू की कहानियां कविताएं आलेख प्रकाशित होने से उनकी रूचि पत्रकारिता में बढ़ गई और खुद का पेपर निकालने का प्रकाशन शुरू करने के लिए अंग्रेजी शासन से पेपर की अनुमति ली ।
कानपुर से उन्होंने अपना श्रम का पेपर प्रकाशित करने के लिए अन्य समाचार पत्रों में की सेवा करने की वजह 1 सप्ताह है समाचार पत्र प्रताप नाम का है 9 नवंबर 1913 को शुरू किया जिसमें शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी स्वयं पेपर कंपोज करते थे और उसकी भाषा बनाते थे पेपर प्रकाशित करने के बाद साइकल से वही अपना पेपर कानपुर आसपास सुबह 5:00 बजे से वितरण करना शुरू करते थे उस समय जो रेल चलती थी उनमें पेपर बेचने का काम भी किया करते थे उससे उनका परिवार का संचालन होता था ।
साप्ताहिक समाचार पत्र खुद दैनिक कर दिया और 22 अगस्त 1918 को नानक सिंह की कविता सौदा ए वतन का प्रकाशन करने के बाद अंग्रेजों ने पेपर को बंद कराने कार्यालय सील कर दिया और शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी के विरुद्ध प्रकरण दर्ज कर जेल भेज दिया लेकिन उन्होंने जेल में भी अपनी कविता साहित्य लेखन काम बंद नहीं किया जेल के निकलने के बाद उन्होंने कानूनी रूप से पेपर का पुनः प्रकाशन शुरू किया 23 जुलाई 1921 को उनको सजा हो गई जेल चले गए सजा काटने के बाद उन्होंने पुनः अपने समाचार पत्र को शुरू किया और समाज सेवा देश सेवा राष्ट्र भक्ति के रूप में समाजसेवी समाज सुधारक और निष्ठावान पत्रकार के साथ कार्य करने लगे कानपुर में हिंदू मुस्लिम दंगे होते थे जिनको निपटाने में शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी हमेशा अपनी भूमिका निभाते थे और हिंदू मुस्लिम दोनों जाति धर्म के लोग उनके त्याग तपस्या और समर्पण के कारण समझौता करके समाज में एक रहने की बात करते थे।
भारत के अमर शहीद भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु को संसद में देशद्रोही कार्य करने के लिए दोषी ठहराया गया और उनको 25 मार्च 1931 को फांसी पर लटका देने का दिन निर्धारित किया गया जब अंग्रेजों को पता चला कि कानपुर में बहुत बड़ा दंगा हो सकता है तो उन्होंने उनको 23 मार्च 1921 को रात्रि में फांसी पर लटका कर उनके शरीर को गुप्त रख लिया जिसकी खबर आगे की तरह पूरे क्षेत्र में फैली हिंदू मुस्लिम दंगा होने लगे 24 मार्च को दंगों को आपस में निपटाने के लिए शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी द्वारा अनेक उपाय किए गए लेकिन दूसरे दिन 25 मार्च 1931 को उनकी कथित हत्यारों ने सिर कलम करके हत्या कर दी जिन की लाश सैकड़ों लोगों के बीच पहचानी गई अंतिम संस्कार 29 मार्च 1931को किया गया l
शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी भारत के कैसे पत्रकार समाजसेवी देश प्रेमी इंसानियत के मसीहा मानवता और शांति के दूत तथा पत्रकारिता के भीष्म पिता कहे जाते हैं जिन्होंने भारत देश की आजादी में सामाजिक राजनीतिक आर्थिक और साहित्य के क्षेत्र में अपना बहुत बड़ा स्थान बनाया उनके निधन के बाद भारत सरकार ने कानपुर में अनेक शिक्षण संस्थाएं और पार्क का निर्माण कराया .
अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी जी की जीवनी को पढ़कर बुंदेलखंड के वरिष्ठ समाजसेवी तथा वर्ष 1980 से पत्रकारिता करते हुए समाज और राष्ट्र में अपनी पहचान बनाने वाले कर्मठ निष्पक्ष पत्रकारिता के रूप में काम करने वाले संतोष गंगेले कर्मयोगी द्वारा भारत के ऐसे महान योद्धा मानवता के धनी शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी के नाम को आगे बढ़ाने के लिए तथा समाज को दिशा देने के लिए 22 जनवरी 2013 को पत्रकारों के हितों की रक्षा के लिए संगठन का समिति के संस्थापक संतोष गंगेले कर्मयोगी राजेंद्र कुमार अधिवक्ता राजेश शिवहरे संयुक्त सचिव कमलेश जाटव सचिव कौशल किशोर रिछारिया कोषाध्यक्ष सम्मानित सदस्य लोकेंद्र मिश्रा एवं भगवान दास कुशवाहा को बनाया गया और उसका पंजीयन कराया ।
मध्य प्रदेश में इस संगठन के माध्यम से हजारों पत्रकारों की समस्याओं और उनके सुझावों को स्वीकार का संगठन को आगे बढ़ाया ।
आज 25 मार्च 2023 को शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी जी की पुण्यतिथि स्मृति दिवस है उनके सपने साकार करने तथा उनकी आत्मा की आवाज बुलंद कर भारत के मध्य पत्रकारिता की पुनः अलग जगाने का काम गणेश शंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब पत्रकार संगठन मध्य प्रदेश कर रहा है और भविष्य में करने जा रहा है
मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार और पत्रकारिता में अपनी छाप बनाए रखने वाले श्री माखन विजयवर्गीय जी जिनकी स्वयं की पहचान है और उनके पुत्र चेतन चर्चित राष्ट्रीय कवि हैं जो शायद जगत में हर व्यक्ति से परिचित जाने जाते हैं उनका पूरा परिवार समाज और राष्ट्र के लिए समर्पित होकर काम कर रहा है ऐसे कर्मठ व्यक्ति को गणेश शंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब की कमान सौंपी गई है जो आने वाले समय में पत्रकारों के हितों की रक्षा करने और पत्रकारों के परिवारों की चिंता करते हुए संगठन का काम करेंगे ।
बलिदान दिवस पर नमन!
एक ऐसा व्यक्ति जो खुद शहीद होकर लोगों को हेल-मेल से रहने की सीख दे गया।
आज से 92 साल पहले गणेश शंकर विद्यार्थी जी सांप्रदायिक दंगों की भेंट चढ़ गए थे। उनकी मृत्यु पर सब दुःखी हुए। तय किया कि अब झगड़े नहीं इसके बाद कानपुर में सांप्रदायिक झगड़ा १९९० में हुआ जब लोग उन्हें भूलने लगे। गणेश शंकर जी एक पत्रकार, एक राजनेता, एक समाज सुधारक और एक चिंतक आदि सब कुछ थे।
श शंकर विद्यार्थी भारत के शिखर पत्रकारों में गिने जाते हैं। संतोष गंगेले कर्मयोगी