आरा मशीन मालिक कर्मचारियों की जिंदगी के साथ कर रहे खिलवाड़
भोपाल और रायसेन जिले में खुलेआम उड़ाई जा रही श्रम विभाग के नियम कानूनों की धज्जियां
किसी भी आरा मशीन पर वहां का कर्मचारी सुरक्षित नहीं
भोपाल. भोपाल एवं रायसेन जिले की आरा मशीन अक्सर सुर्खियों में बनी रहती है जैसे प्रतिबंध गीले पेड़ों की लड़कियां खरीदना, चोरी से काटी गई पेड़ों लड़कियों का मिलना, अबैध पेड़ों की कटाई करवाने एवं बगैर टीपी के आने वाली गीले आम की लकड़ियों का डंप होना यहां की आरा मशीनों पर आम बात है आखिर हो भी क्यों ना वह इसलिए वन विभाग के कई अधिकारी एवं कर्मचारी इन पर पूरी छत्रछाया बनाए हुए हैं ,जब वन के रक्षक ही भक्षक बन जाए तब इन आरा मशीनो को संरक्षण देने लगे और हर सीजन में अच्छी खासी मोटी कमाई करने लगे तब इन आरा मशीनों को सुर्खियों में आना आम बात है, अगर हम बात करें यहां के आरा मशीनों की तो आज भी यहां अबैध तरीके से कटी हुई लकड़ियों का भंडार मिल जाएगा इसकी जांच आखिर कौन करे वन विभाग के पास तो फुर्सत ही नहीं हैं जांच के सिलसिले में वन विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारियों से जब चर्चा की गई तो उन्होंने भी वन विभाग में भ्रष्टाचार होने काट ठप्पा ही लगा दिया अधिकारियों का कहना था सरकार का सिस्टम ही ऐसा है कई सालों से ऐसा ही चलता आया है और ऐसा ही चलता रहेगा।
यह कहकर वन विभाग के अधिकारी पल्ला झाड़ लेते हैं इससे साबित हो जाता है गीले पेड़ों की अबैध कटाई कई कई वर्षों से चल रही है और जाने कितने वर्षों तक चलती रहेगी, अब हम बात करें जिले के श्रम विभाग की ( लेबर डिपार्टमेंट की ) इस विभाग के जिम्मेदार अधिकारी भी दो कदम आगे हैं इन्हें तो अपने कर्तव्य के साथ-साथ कर्मचारियों के सुरक्षा की भी तनिक फिक्र नहीं है अगर होती तो वह आए दिन इन जिलों की आरा मशीनों पर कार्यवाही करते हुए नजर आ रहे होते अफसोस अगर लेवर इंस्पेक्टर भी इन आरा मशीनों के अंदर जाकर झांकी मारते रहे होते तब भी किसी हद तक कर्मचारियों की सुरक्षा के बारे आरा मशीन संचालक सोचने लगे होते इन आरा मशीनों पर काम करने वाले कई कर्मचारियों ने नाम न छापने की शर्त पर जानकारी दी है लेवर विभाग के लेवर इंस्पेक्टर आते तो हैं मगर वे आरा मशीन मालिक के दफ्तर में बैठकर चाय, कॉफी, बिस्किट, कोल्ड ड्रिंक, का स्वाद चखकर चुपचाप चले जाते हैं। अब लेवर इंस्पेक्टर चुपचाप क्यों चले जाते हैं इसका कारण क्या है यह पब्लिक है सब जानती है, यहां हम लेबर कमिश्नर एवं विभागीय मंत्री का इस ओर ध्यान आकर्षित करवाना चाहते हैं कि जिन अधिकारियों को सरकार के द्वारा मूल सुविधाएं एवं उन पर जो खर्च किया जा रहा है उसके बदले में उनसे काम भी तो लिया जाए कम से कम लेवर कमिश्ननर को क्षेत्रीय लेवर इंस्पेक्टरों को आदेशित करना चाहिए कि वह सभी आरा मशीनों पर जाएं बारीकी से जांच पड़ताल करें आरा मशीन मालिक किस तरह वहां के कर्मचारियों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं किसी एक भी आरा मशीन पर काम करने वाले व्यक्ति के पास उसकी सुरक्षा के लिए किसी प्रकार का कोई भी इंतजाम नहीं मिलेगा जबकि लेबर एक्ट के हिसाब से हर एक कर्मचारी के पास सेफ्टी शूज,गलाफ्स, हेलमेट, आइस गोगल होना अनिवार्य होता है। अगर बारीकी से यहां जांच की जाए तो किसी भी कर्मचारी के पास उसकी सुरक्षा की कोई भी वस्तु नहीं होगी, जबकि आरा मशीन संचालक के द्वारा नियमानुसार कंप्लीट सुरक्षा किट हर एक कर्मचारी के पास होना चाहिए लेकिन इन आरा मशीनों पर किट तो छोड़िए किसी के पास हाथों के दस्ताने तक नहीं मिलेंगे।
काफी तेज गति से चलने वाली आरा मशीन की ब्लेड अगर टूट जाए या कर्मचारी का लकड़ी चीरते समय अगर उसका हाथ आ जाए काम करते समय किसी भी प्रकार की दुर्घटना हो जाए तो उसका जिम्मेदार कौन होगा कर्मचारियों की सुरक्षा का दायित्व किसके सिर होगा उस कर्मचारी की जान माल का जिम्मेदार कौन होगा।
लेवर कमिश्ननर की भी है जिम्मेदारी बनती है कि वह उस क्षेत्र के लेवर इंस्पेक्टर को आदेशित करे ताकि वह अपना कर्तव्य निभाते हुए हर एक आरा मशीन पर जाकर जांच करें कि वहां पर जो लेवर कर्मचारी काम कर रहा है उसे उचित तनख्वाह दी जा रही है या नहीं उन कर्मचारियों को लेवर विभाग के नियम अनुसार सुरक्षा दी जा रही है या नहीं लेवर विभाग की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह आरा मशीन मालिक पर कठोर कानूनी कार्रवाई करते हुए कर्मचारी की सुरक्षा मुहैया करवाएं लेवर विभाग के नियम कानून का पालन भी करवाया जाये जिस से किसी भी प्रकार की कोई दुर्घटना ना हो और सभी कर्मचारी सुरक्षित रह कर अपना कर्तव्य निभाए और अपने परिवार का पालन पोषण भी कर सके।