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भोपाल आरटीओ एवं राजधानी की ट्रैफिक पुलिस क्यों नहीं चेकिंग करती बगैर नंबर प्लेट दौड़ रहे ओवरलोड रेत के  डंफरों को



रेत के डंपरों में नंबर प्लेट तो मिलेगी  नहीं साथ में अधिक बांडी भी बढ़ाई गई है

बगैर नंबर प्लेट के दौड़ रहे रेट के डंफरो से अगर दुर्घटना हो जाए तो फिर किस पकड़ा जाए




भोपाल . राजधानी में एक तरफ तो  ट्रैफिक पुलिस एवं क्षेत्रीय थाना पुलिस कई महीनो से लगातार संगीन चेकिंग अभियान चलाती हुई   देखी जा रही है  हर एक चौंक, चौराहों , नुक्कड़ों पर पुलिस के द्वारा तपती हुई धूप में जगह-जगह बेरिकेट लगाकर दो पहिया वाहन  और चार पहिया वाहनो  की बड़ी ही गंभीरता से तलाशी सीटबेल्ट एवं कागजों की चेकिंग करती हुई देखी जा रही हैं कार्यवाही होनी भी चाहिए जो सुरक्षा की दृष्टि से अति आवश्यक भी है।



लेकिन वहीं दूसरी तरफ भोपाल  आरटीओ के साथ ट्रैफिक पुलिस एवं क्षेत्रीय थाना पुलिस पर एक प्रश्न चिन्ह लगता है जो अत्यंत जरूरी है आरटीओ भोपाल के साथ एसीपी ट्रैफिक एवं पुलिस कमिश्नर भोपाल को इस सवाल का जवाब देना होगा आखिर क्या वजह है जो राजधानी में दौड़ रहे ओवरलोड रेत के डंफरों की चेकिंग  नहीं की जाती हैं शहर के अंदर , शहर के बाहर किसी भी जगह पर किसी भी बेरीकेट पर ओवरलोड रेत भरकर दौड़ रहे इन डंफरों को क्यों नहीं रोका जाता है इन डंफरों की गंभीरता से चेकिंग होना चाहिए जिसमें यातायात के नियमों का पालन हो रहा है या नहीं , जैसे ड्राइवर के साथ खलासी का होना, फायर उपकरण सिलेंडर,मेडिकल बॉक्स, एवं अंडरलोड वाहन का होना शामिल है।



मोटर अधिनियम के अंतर्गत भारी वाहन का परमिट, फिटनेस, इंनशोरेस ,प्रदूषण आनरप्लैट स्टाप ,स्पीड़ 40 ,गुड्स केरियर, प्रायवेट केरियर इत्यादि का लिखा होने के साथ- साथ ड्राइवर का लाइसेंस होना, सीटबेल्ट यूनिफॉर्म ड्राइवर खलासी के द्वारा किसी प्रकार का नशा  तो नहीं किया गया हैं इस की भी जांच करना इस प्रकार की कहीं पर भी इन डंफरों की चेकिंग किया जाना नहीं देखा जा रहा है आखिर क्यों..?

भोपाल आरटीओ भी इन डंपरों के ऊपर अपनी पूरी छत्रछाया बनाऐ हुऐ हैं इन डंपरों की बाड़ी 2 से 3 फिट तक अधिक बनाई गई हैं ज्यादातर डंफरो में नंबर प्लैट भी नहीं होती हैं अगर इनसे कोई दुर्घटना घटजाय तो उसे ढुडना असम्भव हो सकता हैं। फिटनेस करते समय आरटीओ की यह डियूटी बनती हैं पहले यह जांच ले उक्त वाहन मालिक के द्वारा मोटर अधिनियम की शर्तों का पूरी तरह पालन किया गया हैं या नहीं इसकी बारीकी से जांच करें उसके पश्चात ही फिटनेस चाहिए।



सूत्रों के द्वारा यह भी बताया एवं देखा गया है फिटनेस करते समय आरटीओ, असिस्टेंट आरटीओ या कोई बाबू की मौजूदगी में नहीं बल्कि आरटीओ एजेंट के द्वारा ज्यादातर फिटनेस कराया जाता है इसलिए यह डंफर मोटर अधिनियम की शर्तों का उल्लंघन करते हुए फिटनेस करवा लेते हैं।



राजधानी में दौड़ने वाले डंपरों में विशेष बात तो यह देखी जाती है की ज्यादा कर डंपर के डालों एवं बॉडी में चौहान शब्द का लिखा होना भारी मात्रा में देखा जा रहा है, शायद वह इसलिए हमारे प्रदेश के पूर्व में रहे मुख्यमंत्री चौहान थे उनके चौहान टाइटल का खुलेआम कई वर्षों से इस्तेमाल किया जा रहा है वर्तमान में प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव हैं उसके बाद भी चौहान टाइटल का लिखा होना इन डंफरों पर भारी संख्या में देखा जा रहा है शायद यही वजह है की आरटीओ भोपाल राजधानी की ट्रैफिक पुलिस और क्षेत्रीय थाना पुलिस डरी सहमी सी रहती हैं यही एक सबसे बड़ा कारण हो सकता है शायद इसलिए बगैर नंबर प्लेटो के ओवरलोड रेत लेकर खुलेआम डंफर दौड़ रहे हैं।

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