जेपी चिकित्सालय के सिविल सर्जन की मनमर्जी से काम करेगा राजधानी का मिडिया
भोपाल. राजधानी के मीडिया संस्थान ने जयप्रकाश चिकित्सालय के सिविल सर्जन डॉ राकेश श्रीवास्तव का गैर जिम्मेदाराना खुलासा कर ही दिया वैसे तो चिकित्सालय में सिविल सर्जन की मर्जी के हिसाब से ही सारा मैनेजमेंट काम कर रहा है 95 में से 20 डाक्टरो का ड्यूटी पर उपस्थित ना होना सिविल सर्जन की कार्यशैली में कई सवाल खड़े करता है।
सूत्रों के अनुसार आए दिन डॉक्टरों का चिकित्सालय में उपस्थित ना होना आम बात बताई जा रही है चिकित्सालय में भर्ती मरीजों का समय पर उपचार ना होना ,मरीजों को डॉक्टर से जांच करवाना, मेडिकल कराने एवं पर्चा बनवाने के लिए कई कई घंटों तक आम जनता का लाईन में खड़े रहना, सिविल सर्जन के ढीले रवैए को दर्शाता है और तो और सिविल सर्जन डॉ राकेश श्रीवास्तव द्वारा प्रसूति महिला वार्डो में तरह-तरह के नोटिस बोर्ड लगवाना जिसमें अंकित होता है, पुरूषों का प्रवेश निषेध हैं, अस्पताल में वीडियो/ फोटोग्राफी रोगियों के सम्मान/ प्राइवेसी की सुरक्षा के कारण प्रतिबंधित है जैसे, वास्तविकता में देखा जाए तो महिला प्रसूति वार्ड मैं भारी संख्या में कई पुरुष देखें जाते हैं दूसरा विडियों और फोटोग्राफी जैसी चीजों पर रोक लगाना कुछ जगहों पर रोक तो होना चाहिए हम इसका समर्थन करते हैं, लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि मीडिया को भी चिकित्सालय में कवरेज करने के लिए रोका जाए हालांकि मीडिया इस बात को भलीभांति जानता है कि रोगियों के सुरक्षा का ध्यान रखना बहुत जरूरी है शांतिमय तरीके से भी तो कवरेज किया जा सकता है लेकिन इसमें सिविल सर्जन की पॉलिसी भी समझ में आती है।
अगर मीडिया के कैमरे चिकित्सालय में पहुंच गए तो काफी कुछ गड़बड़ियां सरकार से लेकर जनता तक पहुंच सकती है सिविल सर्जन के द्वारा कुछ गार्ड भी तैनात किए गए है जो मीडिया को चिकित्सालय के अंदर जाने से रोकते हैं कुछ जगहों पर मीडिया का जाना वर्जित हो सकता है लेकिन समूचे चिकित्सालय में मीडिया का प्रतिबंध होना सिविल सर्जन की कोई चालाकी समझ में आती है। अगर किसी भी प्रकार की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कर ली गई तो सच्चाई सामने आने का खतरा हो सकता हैं जो वहां के डॉक्टरों के अलावा सिविल सर्जन के भ्रष्टाचार के कारनामे एवं कई गड़बड़ियो का खुलासा हो सकते हैं।