4 लाख रुपये से शुरु किया बट बेबी सीट बनाने का काम, एक साल में बेच डाला 4.25 करोड़ का सामान
नई दिल्ली: कहते हैं आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है। दो बच्चे के माता-पिता को बेबी केरियर (Baby Carrier) ढूंढने में परेशानी हुई। पिता को कमर में स्लिप डिस्क की समस्या थी। खुद बच्चों को गोदी उठाने में सक्षम थे नहीं। कोई उपाय नहीं सूझा तो इसी पर रिसर्च करने लगे। करीब दो साल का समय लगा, लेकिन सफलता मिल गई। उन्होंने बट बेबी सीट (Butt Baby Seat) बना डाला। इसका उपयोग खुद के लिए तो किया ही, इसे बेचने भी लगे। इसके प्रोडक्शन में करीब चार लाख रुपये का इनवेस्टमेंट हुआ। साल भी में ही यह सूद समेत निकल गया। इनकी पहले साल की ही बिक्री 4.25 करोड़ रुपये रही थी। हम बात कर रहे हैं कोलकाता के उद्यमी आकाश जैन और रुचि जैन की।
इंफेंट के लिए तो ढेरों प्रोडक्ट पर टोडलर के लिए नहीं
आकाश और रुचि की दो बेटियां हैं। दोनों में अंतर भी ज्यादा नहीं है, महज डेढ़ साल का। शुरु में तो इंफेंट बेबी केरियर से काम चल गया। लेकिन बच्चे जब आठ महीने से बड़े हुए तो इसे नकार दिया। तब वे ढूंढने लगे कि टोडलर या साल भर से बड़े बच्चों के लए बेबी केरियर प्रोडक्ट हैं या नहीं। उन्हें निराशा हाथ लगी क्योंकि भारतीय बाजार में ऐसा कोई प्रोडक्ट था ही नहीं। फिर शुर हुआ रिसर्च। करीब पौने दो साल तक रिसर्च हुआ और अक्टूबर 2021 में उन्होंने बट बेटी सीट बना डाला। फिर इसे अपनी वेबसाइट बना कर बेचना शुरु किया। बाजार से खूब रिस्पांस मिला और पहले साल में उनकी बिक्री का आंकड़ा चार करोड़ रुपये के पार चला गया।
बिक्री बढ़ी तो खोल ली अपनी फैक्ट्री
आकाश बताते हैं कि शुरु में तो वे अपनी वेबसाइट से ही बट बेबी सीट बेचते थे। लेकिन जब बिक्री बढ़ी तो इसे ज्यादा संख्या में बनाने के लिए कोलकाता में ही एक फैक्ट्री किराए पर ली। वहीं इसका प्रोडक्शन करने लगे। जब प्रोडक्शन बढ़ा तो इसे ऐमजॉन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कामर्स वेब साइट के जरिए भी बेचने लगे। फर्स्ट क्राई से भी करार हुआ। ऑफ लाइन भी बाजार में उतर गए। इस समय तो वह महीने में 40-45 लाख रुपये का बट बेबी सीट आराम से बेच लेते हैं। मतलब कि इस साल वह पांच से छह करोड़ का माल बेचेंगे।
अचानक ही इस क्षेत्र में कूद पड़े
आकाश जैन का कोलकाता में खानदानी काम जेवर बनाने और बेचने का है। उन्होंने बी कॉम की पढ़ाई करने के बाद इसी काम में लग गए। साल 2015 में पुणे की रुचि से शादी हुई। शादी के वक्त वह आईटी प्रोफेशनल थी और एक फ्रेंच कंपनी में जॉब कर रही थी। शादी के बाद सब कुछ छोड़ कर कोलकाता आ गई। इस बीच उनके पुश्तैनी कारोबार में गिरावट आ गई। उनके ऊपर भारी कर्ज चढ़ गया। उसी समय डेढ़ साल के अंतराल में दो बच्चे हो गए। तरह तरह की परेशानी से घिर कर उन्होंने बेटी सीट के बारे में सोचना शुरु किया और इसका इजाद कर दिया।
आगे की यह है योजना
आगे की क्या है योजना, इस सवाल पर आकाश जैन कहते हैं कि अब इस कारोबार को देश विदेश में फैलाएंगे। उनका दावा है कि यह प्रोडक्ट यूनिक है। अमेरिका को छोड़ दें तो यह कहीं मिलता भी नहीं है। अब इसका प्रोडक्शन बढ़ाएंगे। देश भर में ऑनलाइन और ऑफलाइन पहुंचेंगे। साथ ही एक्सपोर्ट में भी हाथ आजमाएंगे। उनका कहना है कि बेटी सीट के अलावा इस समय वह कुछ और प्रोडक्ट पर भी काम कर रहे हैं। वह भी इसी तरह से यूनिक होगा। प्रोडक्ट क्या होगा, फिलहाल वह इसका खुलासा नहीं करना चाहते।