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कमऑन टीम इंडिया! मुश्किल है इम्तिहान, लड़ा दो जान, ऑस्ट्रेलिया को दिलाना है गाबा की याद

नई दिल्ली: टीम इंडिया को 329 रनों का का लक्ष्य। ब्रिस्बेन गाबा की तेज तर्रार पिच पर उड़ती धूल और रोहित शर्मा 7 रन पर आउट। पसीने से लथपथ भारतीय खिलाड़ी। स्टेडियम में भारतीय दर्शकों के बीच पिन ड्रॉप साइलेंट। खुशी में झूमते ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी। 5वें दिन की शुरुआत ही हुई थी कि भारतीय खेमे में खलबली मची हुई थी, लेकिन पिक्चर यहीं खत्म नहीं होती। रोहित के रूप में एक बड़ी खुशी ऑस्ट्रेलिया को मिली, लेकिन इसके बाद जो कुछ हुआ वह इतिहास में दर्ज है।

मैच में 4 दिन तक पिछड़ने वाली टीम इंडिया ने न केवल करिश्माई वापसी की, बल्कि कंगारुओं को घुटने पर ला दिया। युवा शुभमन गिल और चेतेश्वर पुजारा की जोड़ी ने भारत को 100 रनों के पार पहुंचाया। दूध के दांत वाले शुभमन गिल ने ऑस्ट्रेलिया के तूफान को चीर डाला। लगभग 4 घंटे की मैराथन बैटिंग करते हुए 146 गेंदों में 8 चौके और 2 छक्के उड़ाते हुए 91 रन ठोके तो टीम इंडिया की दीवार कहे जाने वाले चेतेश्वर पुजारा को गेंद पर गेंद लग रही थी, लेकिन वह चट्टान की तरह डटे रहे।

गिल के बाद कप्तान रहाणे 24 रन पर आउट हुए तो कंगारू फिर खुशी से झूमने लगे, लेकिन पुजारा और पंत कुछ और ही ठान कर खेल रहे थे। पुजारा ने भी 211 गेंदों में 56 रन ठोके। जब वह आउट हुए तो भारत के खाते में 228 रन थे और जीत के लिए 101 रनों की जरूरत थी। मिचेल स्टार्क, जोश हेजलवुड, पैट कमिंस, कैमरून ग्रीन जैसे लंबे-चौड़े पेस बैटरी वाली इस टीम को पूरी उम्मीद थी कि 90s या 2000 के समय की तरह भारतीय बैटिंग ढह जाएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

यहां से भारतीय टेस्ट इतिहास के समय बड़े मैच विनर ऋषभ पंत ने मोर्चा संभाला। मयंक अग्रवाल भी 9 रन पर चलते बने तो पंत का साथ वॉशिंगटन ने भी क्या खूब सुंदर दिया। उन्होंने 29 गेंदों में 2 चौके और 1 छक्का उड़ाते हुए 22 रन ठोककर अपनी कैमियो पारी से माहौल बदल दिया। जब तक वह आउट हुए तब तक पिक्चर बदल चुकी थी। चार दिन खेल में आगे रहने वाली ऑस्ट्रेलिया टीम ढलते सूरज के ताप को भी नहीं सह पा रही थी। पसीने से तर बतर फ्रस्टेट होते तेज गेंदबाजों का हावभाव बता रहा था कि अब भारत इतिहास रचने वाला है।

हुआ भी कुछ ऐसा ही। 97वें ओवर की आखिरी गेंद पर ऋषभ पंत ने चौके के रूप में आखिरी कील ठोकी तो भारतीय फैंस खुशी से उछल पड़े। इसके साथ ही भारतीय टीम ने लगातार दूसरी बार ऑस्ट्रेलिया को उसी की मांद में हराते हुए बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी 2-1 से अपने नाम कर ली। यह न केवल ऑस्ट्रेलिया में बल्कि किसी भी मैदान पर सबसे बड़े लक्ष्य का पीछा करते हुए कंगारुओं के खिलाफ भारत की सबसे बड़ी जीत थी। हर कोई हैरान था, क्योंकि गाबा ऑस्ट्रेलिया का अभेद किला माना जाता है, जिसे भेद पाना नामुमकिन था।

कुछ ऐसा ही माहौल द ओवल में जारी आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के खिताबी मुकाबले में भी है। ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाजों ने जिस तरह गिल, रहाणे, पुजारा, सुंदर को अपनी तीखी बाउंसरों से चोटिल किया था कुछ ऐसे ही इस मैच में करते दिख रहे हैं। फिलहाल उनके पास 296 रनों की बढ़त हे, जबकि 6 विकेट शेष हैं। यहां से भारतीय टीम के पास मौका है न केवल वापसी का, बल्कि यह बताने का भी कि गाबा की जीत केवल तुक्का नहीं थी। भारत के पास वो दमखम है, जिससे किसी भी टीम को किसी भी परिस्थिति में हराया जा सकता है। यह बात नासिर हुसैन ने यूं ही नहीं कही है। पिछली बार जब भारत ने इंग्लैंड का दौरा किया था तो इंग्लैंड को पानी पिला दिया था।

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