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‘चोकर्स’ साउथ अफ्रीका, चार गेंद में 1 रन नहीं बना पाया था, हारी हुई बाजी को जीता था ऑस्ट्रेलिया

नई दिल्ली: क्रिकेट में चोकर्स शब्द अक्सर उन टीमों के लिए प्रयोग किया जाता जो बड़े टूर्नामेंट के लीग स्टेज में दमदार प्रदर्शन कर नॉकआउट में पस्त हो जाती है। या फिर जीते हुए मैच को भी आखिर में आकर गंवा देती है। ऐसा अक्सर साउथ अफ्रीका के लिए कहा जाता है। साउथ अफ्रीका के लिए ऐसा इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि वह एक या दो बार नहीं, कई बार जीत के करीब पहुंच कर हार गई। ऐसा ही कुछ 17 जून 1999 को विश्व कप के नॉकआउट मुकाबले में हुआ था।

ऑस्ट्रेलिया और साउथ के बीच विश्व कप के इतिहास का इसे सबसे रोमांचक मैच भी कहा जाता है। दोनों टीमें इंग्लैंड के बर्मिंघम में इस मुकाबले के लिए मैदान पर उतरी थी। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इस मैच में अंतिम ओवर तक ऐसा लगा कि साउथ अफ्रीका की टीम को जीत मिलेगी लेकिन कंगारू टीम ने मैच को ऐसा बदला कि साउथ अफ्रीका का सपना चकनाचूर हो गया।

विश्व कप के इस मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 213 रन का स्कोर खड़ा किया था। साउथ अफ्रीका को जीत के लिए मैच में 214 रन बनाने थे। लक्ष्य का पीछा करते हुए 48वें ओवर तक मैच पूरी तरह से साउथ अफ्रीका की गिरफ्त में दिख रहा था, क्योंकि उस समय तक साउथ अफ्रीका ने 7 विकेट पर 196 रन बना लिए थे। अब टीम को जीत के लिए 12 गेंद में 18 रन की जरूरत थी लेकिन ऑस्ट्रेलिया की टीम कहां हार मानने वाली थी।

स्टीव वॉ ने इस्तेमाल किया अपना घातक हथियार

मैच को साउथ अफ्रीका के पक्ष में जाता देख ऑस्ट्रेलिया के कप्तान स्टीव वॉ ने 49वां ओवर ग्लेन मैक्ग्रा को थमाया। इस समय मैक्ग्रा अपने करियर के चरम पर थे। वहीं साउथ अफ्रीका के लिए क्रीज पर लांस क्लूजनर और मार्क बाउचर बैटिंग कर रहे थे। मैक्ग्रा ने अपने इस ओवर में मार्क बाउचर को बोल्ड कर मैच को रोमांचक बना दिया। इसी ओवर में स्टीव एलवर्दी रन आउट हो गए। ऑस्ट्रेलिया को बाउचर के आउट होते ही जीत की खुशबू आने लगी थी लेकिन बीच में खड़े थे क्लूजनर।

क्लूजनर साउथ अफ्रीका को हर हाल में जीत दिलाने के लिए डटे हुए थे। साउथ अफ्रीका को जीत के लिए 8 गेंद में 17 बनाने थे। क्लूजनर ने ग्लेन मैक्ग्रा के 49वें ओवर की 5वीं गेंद पर छक्का जड़ दिया। इससे अब टीम उम्मीदें और बढ़ गई। किसी तरह 49वां खत्म हुआ और आखिरी ओवर लेकर आए डेमियन फ्लेमिंग।

अंतिम ओवर की पहली दो गेंद पर क्लूजनर ने लगातार दो चौका जड़कर ऑस्ट्रेलिया की चिंता को बढ़ा दिया। अब टीम को चार गेंद में 1 रन बनाने थे। क्लूजनर के साथ क्रीज पर थे एलन डोनाल्ड। क्लूजनर जीत की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले रखी थी। एक सिंगल के साथ ही टीम को जीत मिल सकती थी लेकिन ऑस्ट्रेलिया यहां भी हार मानने को तैयार नहीं थी क्योंकि अगर मैच टाई भी होता तो ऑस्ट्रेलिया फाइनल में पहुंच जाता, क्योंकि रन रेट के मामले में वह आगे था।

सभी फील्डर 30 गज के दायरे में

ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव वॉ ने साउथ अफ्रीका को एक रन बनाने से रोकने के लिए सभी फील्डर को 30 गज के दायरे में बुला लिया। ऑस्ट्रेलिया के सभी खिलाड़ी मुस्तैद थे। क्लूजनर ने चौथी गेंद पर मिड ऑन की तरफ शॉट खेला और वह दौड़ पड़े। मार्क वॉ ने गेंद को डाइव कर बेहतरीन तरीके से रोका और उन्होंने गेंद को फ्लेमिंग के पास थ्रो किया। फ्लेमिंग ने उस थ्रो को विकेटकीपर एडम गिलक्रिस्ट की तरफ दिया और उन्होंने गिल्लियों को बिखेर दी।

इस दौरान हैरान करने वाली बात यह रही कि डोनाल्ड अपनी क्रीज से निकले ही नहीं, उन्हें समझ ही नहीं आया कि क्या हुआ है, तब तक क्लूजनर दौड़ नॉन स्ट्राइक एंड पर पहुंच चुके थे। इस तरह साउथ अफ्रीका की टीम 213 रन पर सिमट गई और मैच टाई हो गया।

रन रेट के कारण मिला फाइनल का टिकट

ऑस्ट्रेलिया ने सुपर सिक्स राउंड में साउथ अफ्रीका को मात दी। इस कारण उसका रन रेट बेहतर था। ऐसे में सेमीफाइनल में मैच टाई रहने के बावजूद ऑस्ट्रेलिया की टीम फाइनल में पहुंच गई थी। फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने पाकिस्तान को पीट कर विश्व कप के खिताब पर अपना कब्जा जमाया था।

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