वन विभाग पांचो उंगली घी में और सिर कढ़ाई में…
भोपाल-राजधानी भोपाल में वन विभाग के उड़नदस्ते का खेल मैदान मैं भ्रष्टाचार का खेल जोरो से खेला जा रहा है, उड़न दस्ते का कप्तान तो बदल गया लेकिन खिलाड़ी आज भी वही 25 से 27 वर्ष पुराने हैं अर्थात वन विभाग के सी सी एफ उड़न दस्ते में नियम विरुद्ध बिठाए गए वनपाल को कड़ी मशक्कत के बाद हटा तो दिया गया है, लेकिन डी एफ ओ भोपाल के अधीनस्थ उड़नदस्ता प्रभारी एवं सी सी एस उड़नदस्ता प्रभारी रेंजर एक ही है जिस के दोनों हाथों में लड्डू हैं जिनका बड़े ही मस्त तरीके से आनंद लिये जाने में मग्न है एक खिलाड़ी के हाथ से बाल गई तो दूसरे के हाथ में आ गई वन विभाग के इस खेल के खिलाड़ी भी वही पुराने हैं जिनका कई कई वर्षों से भ्रष्टाचार का खेल सुर्खियों में आता रहा है। यह वही पुराने खिलाड़ी हैं जिनके मोबाइलों पर लकड़ी माफियाओं की गाड़ियों के फोटोस और नंबर भेजे जाते थे इन्हीं के माध्यम से अबैध लकड़ी तस्करों के वाहनों को पास कराने में मदद हुआ करती थी । टीम का कप्तान तो बदल हो गया लेकिन खिलाड़ी वही पुराने हैं, जो आज भी भ्रष्टाचार का मैच खेल रहे हैं । जिसकी पुष्टि नाम न बताने की शर्त पर कई आरा मशीन मालिकों ने खुलासे किए हैं कुछ माह पूर्व ऑडियो भी वायरल हुए थे उन सारे मामलों में कुछ का तो स्थानांतरण हो गया है, लेकिन जो पुराने खिलाड़ी हैं जो खुलेआम चैलेंज भी करते हैं कि उन्हें उड़नदस्ता से कोई भी अधिकारी हटा नहीं सकता। अगर कोई ईमानदार निष्ठावान अधिकारी इनका स्थान तरण करता भी है तो सरकार के कुछ नेता इनके बचाव में उतर आते हैं इससे स्पष्ट होता है कि इन खिलाड़ियों के खेल में कई नेताओं का भी सरक्षण है। राजधानी के कई मीडिया संस्थानों ने इस अवैध कटाई की खबरों को प्रकाशित पूर्व में किया है एवं प्रतिबंधित गीले आम के पेड़ों की अवैध कटाई का खुलासा भी किया जा चुका है। ऐसे में जब तक नियम विरुद्ध प्रभारी बनाए गए वनपाल को सीसीएफ उड़न दस्ते से हटाया नहीं गया था तब तक निरंतर आम की लकड़ी से भरे वाहनों की धरपकड़ तो जोरों से चलाई जा रही थी,लेकिन अचानक ऐसा क्या हुआ कि कई महिनों से गीले या सूखे आम की लकड़ी का कोई भी वाहन पकड़ा नहीं गया है। कहीं ऐसा तो नहीं ( सैंया भए कोतवाल तो अब डर काहे का ) की तर्ज पर काम चल रहा हो, सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार सीसी एफ उड़न दस्ते की संभाग में तो कार्यवाही ठप है लेकिन भोपाल वन मंडल के अधीन उड़न दस्ते की कार्रवाई देखी जा रही है वहीं सूत्रों से जानकारी यह भी मिल रही है समर्दा रेंज एवं बैरसिया रेंज के कोलार, शमशाबाद, नजीराबाद जैसे क्षेत्रों में शिकारियों के द्वारा वन प्राणियों का शिकार किए जाने की भूरी भूरी सी खबरें प्राप्त हो रही हैं जिसकी सूचना वन विभाग को भी होगी आखिर उस तरफ समरधा रेंज बेरसिया रेंज एवं भोपाल उड़न दस्ते का उस और ध्यान क्यों नहीं जा रहा है जो एक गंभीर विषय है। उड़नदस्ता भोपाल के कई अस्थाई वन कर्मियों ने नाम ना बताने की शर्त पर जानकारी दी है किसानों की फसल कटने के उपरांत लकड़ी माफिया सकरीय हो जाते हैं उनकी की गतिविधियां तेज हो जाती हैं किसानों की जमीनों पर लगे हुए नीलगिरी, बबूल, आम के अलावा कई तरह के हरे भरे वृक्षों को लकड़ी माफियाओं द्वारा काटकर राजधानी भोपाल और इंदौर जैसे महानगरों की आरा मशीनों पर डंप किया जाता है। जिसमें उड़न दस्ते भोपाल में दीमक की तरह जमे कई वर्षों से आस्थाई वनकर्मियों से माफियाओं द्वारा संपर्क साधा जाता है किस नंबर के वाहन से उन लकड़ियों का परिवहन होना है जिसकी फोटो एवं रस्ते की जानकारी दे दी जाती है यही कारण है लकड़ी माफिया खुलेआम बगैर टीपी के अबैध तरीके से काटे हुए हरे भरे गीले पेड़ों को आरा मशीन तक पहुंचाने में उन्हें मदद मिलती है। हालांकि ऐसा तो बिल्कुल नहीं है कि विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी जानकारी ना हो सरकार में बैठे नेता, मंत्री, संत्री, के चहिते बरसों से डेरा जमाए बैठे वन कर्मियों को हटाने में लाचार एवं मजबूर है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो प्रदेश के पर्यावरण को लेकर चिंतित संवेदनशील मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सुशासन स्थापना के सपने का क्या होगा।